Supreme Court’s Aadhaar Option For Bihar’s Voter List
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए लोगों के लिए आधार कार्ड को एक वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का निर्देश दिया है। 14 अगस्त 2025 को, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) को आदेश दिया कि वह विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान के बाद मतदाता सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं की जिलावार सूची जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर प्रकाशित करे। Supreme Court’s Aadhaar Option For Bihar’s Voter List इस सूची में नाम हटाने के कारण, जैसे मृत्यु, प्रवास, या दोहरा पंजीकरण, स्पष्ट रूप से बताए जाने चाहिए।
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि प्रभावित लोग अपने दावे प्रस्तुत करते समय आधार कार्ड जमा कर सकते हैं, हालांकि आधार को नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा। यह जानकारी बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होगी, और इसे EPIC नंबर के आधार पर खोजा जा सकेगा। इसके अलावा, सूची के प्रकाशन का व्यापक प्रचार समाचार पत्रों, टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया के माध्यम से किया जाना चाहिए।
निर्वाचन आयोग को 19 अगस्त तक यह सूची अपलोड करने और प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि बूथ-स्तरीय अधिकारी पंचायत कार्यालयों में सूची चस्पा करें, ताकि लोग आसानी से अपनी स्थिति जांच सकें। इस फैसले का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और मतदाताओं का विश्वास बहाल करना है। अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी, जिसमें आयोग को अपने कदमों की प्रगति पर रिपोर्ट पेश करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट का बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए लोगों के लिए आधार कार्ड को वैध दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने और निर्वाचन आयोग को हटाए गए मतदाताओं की जिलावार सूची प्रकाशित करने का निर्देश।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुख्य बिंदु:
Supreme Court’s Aadhaar Option For Bihar’s Voter List
आधार कार्ड की स्वीकार्यता: बिहार की मतदाता सूची से हटाए गए लोग अपने दावे प्रस्तुत करने के लिए आधार कार्ड का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं माना जाएगा।
हटाए गए मतदाताओं की सूची: निर्वाचन आयोग को लगभग 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की जिलावार सूची जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर प्रकाशित करनी होगी, जिसमें नाम हटाने के कारण (मृत्यु, प्रवास, दोहरा पंजीकरण) स्पष्ट होंगे।
प्रकाशन और प्रचार: सूची को बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा, जिसे EPIC नंबर से खोजा जा सकेगा। प्रचार के लिए समाचार पत्र, टीवी, रेडियो और सोशल मीडिया का उपयोग होगा।
समय-सीमा: निर्वाचन आयोग को 19 अगस्त तक सूची अपलोड और प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करना होगा।
पारदर्शिता के उपाय: बूथ-स्तरीय अधिकारी पंचायत कार्यालयों में सूची चस्पा करेंगे, ताकि लोग अपनी स्थिति आसानी से जांच सकें।
अगली सुनवाई: 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, जिसमें निर्वाचन आयोग को प्रगति रिपोर्ट पेश करनी होगी।
उद्देश्य: मतदाता सूची में पारदर्शिता सुनिश्चित करना और प्रभावित मतदाताओं का विश्वास बहाल करना।